पंचशील बौद्ध बिहार के प्रांगण में संत कबीर दास की 627वीं जयंती मनाई गई।
पंचशील बौद्ध बिहार के प्रांगण में संत कबीर दास की 627वीं जयंती मनाई गई।
बिट्टू कुमार बिहार/बेतिया। शहर के इलाराम चौक स्थित पंचशील बौद्ध विहार के प्रांगण में साप्ताहिक मीटिंग के द्वारा संत कबीर दास की 627वी जयंती मनाई गई और उनके तैल चित्र पर बारी-बारी से आए हुए सभी लोगों ने पुष्प अर्पित किए तथा उनके किए हुए कार्यों पर प्रकाश डाले। वहीं पंचशील बौद्ध बिहार के जिला संयोजक रामदास बौद्ध ने संत कबीर दास की दोहा को उन्होंने सभी लोगों को बताया पोथी पढ़ी पढ़ी जग मुआ, पंडित भया न कोय। ढाई आखर प्रेम का, पढ़ा सो पंडित होय || आगे उन्होंने कहा कि कबीर दास जी हमारे चंपारण में आए थे और हम सब लोगों को बहुत कुछ बताए। हम सब लोगों की सौभाग्य की बात है कि हमारे चंपारण में आए। इस दौरान नंदलाल प्रसाद ने कहा कि कबीर का बात और महात्मा बुद्ध के बातों में कोई अंतर नहीं है। कबीर ने लोगों को हमेशा आपस में कैसे मिल कर रहे इसके लिए लोगों को संदेश देते थे। मौके पर शंभू प्रसाद, मनोज कुमार यादव, मकसूदन प्रसाद गुप्ता, संजय कुमार राव, उषा बौद्ध, राकेश भगत, डॉ गौरख प्रसाद मस्ताना, राजकिशोर बैठा, डॉ प्रेम कुमार, मानसी मांझी, बिट्टू कुमार, सिकंदर, रामजी प्रसाद इत्यादि लोगों शामिल रहे।
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